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“हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के खुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है…”
कितना हसींन चांद सा चेहरा है,
उसपे शबाब का रंग गहरा है,
खुदा को यक़ीन ना था वफा पे,
तभी तो एक चांद पे हजारों तारों का पहरा है।।
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया
साहिर लुधियानवी
More Shayari
Motivational Shayari

अख़्तर’ गुज़रते लम्हों की आहट पे यूँ न चौंक,
इस मातमी जुलूस में इक ज़िंदगी भी है।
~ अख़्तर होशियारपुरी

अख़्तर’ गुज़रते लम्हों की आहट पे यूँ न चौंक,
इस मातमी जुलूस में इक ज़िंदगी भी है।
~ अख़्तर होशियारपुरी
कामयाबी के सफर में धूप का बहुत महत्व है,
क्योंकि छांव मिलते ही कदम रुकने लगते हैं।

अख़्तर’ गुज़रते लम्हों की आहट पे यूँ न चौंक,
इस मातमी जुलूस में इक ज़िंदगी भी है।
~ अख़्तर होशियारपुरी

अख़्तर’ गुज़रते लम्हों की आहट पे यूँ न चौंक,
इस मातमी जुलूस में इक ज़िंदगी भी है।
~ अख़्तर होशियारपुरी

अख़्तर’ गुज़रते लम्हों की आहट पे यूँ न चौंक,
इस मातमी जुलूस में इक ज़िंदगी भी है।
~ अख़्तर होशियारपुरी
गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना मिरे आगे
Festival Shayari

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

सितम तो ये है कि ज़ालिम सुख़न-शनास नहीं
वो एक शख़्स कि शाएर बना गया मुझ को
~ Ahmed Faraz
सितम तो ये है कि ज़ालिम सुख़न-शनास नहीं वो एक शख़्स कि शाएर बना गया मुझ को
जीवन में सबसे बड़ी खुशी उस काम को करने में है, जिसे लोग कहते हैं कि आप नहीं कर सकते।

हम तिरा हिज्र मनाने के लिए निकले हैं
शहर में आग लगाने के लिए निकले हैं
~ john elia
हम तिरा हिज्र मनाने के लिए निकले हैं शहर में आग लगाने के लिए निकले हैं
Funny Shayari
अज्ञात

उसने कहा मेरे इश्क़ में
तुम फना हो जाओ,
मैंने कहा मुझे नीद आ रही है
तुम दफा हो जाओ।
~ अज्ञात

ग़ज़ल लिखी हमने उनके होंठों को चूम कर,
वो ज़िद्द कर के बोले… ‘फिर से सुनाओ’……..!!!
~ अज्ञात
ग़ज़ल लिखी हमने उनके होंठों को चूम कर, वो ज़िद्द कर के बोले… ‘फिर से सुनाओ’……..!!!

आये हो जो आँखों में कुछ देर ठहर जाओ,
एक उम्र गुजरती है एक ख्वाब सजाने में………!!!
~ अज्ञात
आये हो जो आँखों में कुछ देर ठहर जाओ, एक उम्र गुजरती है एक ख्वाब सजाने में………!!!

क़यामत टूट पड़ती है ज़रा से होंठ हिलने पर,
जाने क्या हस्र होगा जब वो खुलकर मुस्कुरायेंगे…….!!!
~ अज्ञात
क़यामत टूट पड़ती है ज़रा से होंठ हिलने पर, जाने क्या हस्र होगा जब वो खुलकर मुस्कुरायेंगे…….!!!

अक्सर लोग सूरत पे मरते है,
हमे तो आपकी आवाज़ से इश्क़ है।
~ अज्ञात
अक्सर लोग सूरत पे मरते है, हमे तो आपकी आवाज़ से इश्क़ है।

रूठना हुस्न वालों की आदत है,
और मनाना हम आशिक़ो की आदत।
~ अज्ञात
रूठना हुस्न वालों की आदत है, और मनाना हम आशिक़ो की आदत।
Shakeel Badayuni
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
View Shayariअज्ञात
आंखों में आंसू और दिल में दर्द लिए, हम आज भी तुम्हारे बिना जी रहे हैं।
View Shayariअज्ञात
“मुस्कुराहट के पीछे छुपी होती हैं, वो बातें जो किसी से कह नहीं पाते।”
View Shayariअज्ञात
ज़िन्दगी में कुछ पल बस ऐसे गुजर जाते है बस रहे जाती हैं तो उनकी यादें।
View Shayariअज्ञात
हमेशा मैं ही क्यों डरु, तुझको खोने से, कभी तू भी डरे, मेरे न होने से..
View Shayariअज्ञात
“दिल से रोये मगर होंठों से मुस्कुरा बैठे, यूं ही हम किसी से वफा निभा बैठे।”
View Shayariएक तेरा ही नाम था जिसे हज़ार बार था लिखा,
एक तेरा ही नाम था जिसे हज़ार बार था लिखा, जिसे खुश हुए थे लिख कर, उसे मिटा मिटा के रोये।
अज्ञातकौन कहता है लड़के बेदर्द होते हैं,
कौन कहता है लड़के बेदर्द होते हैं, बस वो रोते नहीं क्योंकि वह मर्द होते हैं…!!
अज्ञाततेरे बेवफा होने का गम नहीं, गम तो ये है कि,
तेरे बेवफा होने का गम नहीं, गम तो ये है कि, तू मेरी जिंदगी का सबसे हसीन झूठ था।
अज्ञातसजाए थे ख्वाबों का शहर, तूने एक पल में तोड़ दिया,
सजाए थे ख्वाबों का शहर, तूने एक पल में तोड़ दिया, तेरी बेवफाई से पहले, ये दिल कितना मजबूत था।
अज्ञातमैं तेरी जिंदगी से चला जाऊं ये तेरी दुआ थी
मैं तेरी जिंदगी से चला जाऊं ये तेरी दुआ थी तेरी हर दुआ कबूल हो ये मेरी दुआ थी
अज्ञातदिल पे कुछ और गुज़रती है मगर क्या कीजे
दिल पे कुछ और गुज़रती है मगर क्या कीजे लफ़्ज़ कुछ और ही इज़हार किए जाते हैं
जलील ’आली’मजनू अब इश्क़ करे तो कैसे करे
मजनू अब इश्क़ करे तो कैसे करे लैला अब ऐतबार के काबिल न रही”
अज्ञातआज तुम हर सांस के साथ याद आ रहे हो
आज तुम हर सांस के साथ याद आ रहे हो बताओ तो जरा तुम्हारी यादें रोकू या सांसे
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"