Author Details
Pen Name:'akbar'
Real Name:Akbar Ali Khan
Born:20 Jan 1925
रातों को आँख उठा के ज़रा देख तो सही
क्या शक्लें जल्वा-गर हैं फ़लक के रवाक़ में
किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो
न हो जब दिल ही सीने में तो फिर मुँह में ज़बाँ क्यूँ हो
किस तरह जवानी में चलूँ राह पे नासेह
ये उम्र ही ऐसी है सुझाई नहीं देता
दिन भर जो सूरज के डर से गलियों में छुप रहते हैं
शाम आते ही आँखों में वो रंग पुराने आ जाते हैं
भेद भरी आवाज़ों का इक शोर भरा है सीने में
खुल कर साँस नहीं लेने की शर्त है गोया जीने में
More Shayari
Motivational Shayari
चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया
इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया
~ Parveen Shakir
गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना मिरे आगे
चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया
इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया
~ Parveen Shakir
लक्ष्य को पाने के लिए यदि हम तन,
मन और धन लगा देते हैं, सच कहता हूं,
कुंडली के सितारे भी अपनी जगह बदल देते हैं।
चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया
इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया
~ Parveen Shakir
चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया
इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया
~ Parveen Shakir
जज़्बा-ए-बे-इख़्तियार-ए-शौक़ देखा चाहिए
सीना-ए-शमशीर से बाहर है दम शमशीर का
Festival Shayari
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।
लुत्फ़ आने लगा जफ़ाओं में
वो कहीं मेहरबाँ न हो जाए
~ Ameer Meenai
लुत्फ़ आने लगा जफ़ाओं में वो कहीं मेहरबाँ न हो जाए
ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ दूर के साथी हैं फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है
सुब्ह-ए-रौशन को अंधेरों से भरी शाम न दे दिल के रिश्ते को मिरी जान कोई नाम न दे
तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चराग़
लोग क्या सादा हैं सूरज को दिखाते हैं चराग़
~ Ahmed Faraz
तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चराग़ लोग क्या सादा हैं सूरज को दिखाते हैं चराग़
Funny Shayari
अज्ञात
ए दोस्त हमारी दोस्ती
इतनी गहरी हो
जो तुम्हारी गर्लफ्रेंड हो
उसके साथ शादी मेरी हो।
~ अज्ञात
तुमसे 5 मिनट बात हो जाती है तो,
दिन भर की टेंशन खत्म हो जाती है।
~ अज्ञात
तुमसे 5 मिनट बात हो जाती है तो, दिन भर की टेंशन खत्म हो जाती है।
तुम दिल से हमें यों पुकारा ना करो,
यु तुम हमें इशारा ना करो,
दूर हैं तुमसे ये मजबूरी है हमारी,
तुम तन्हाइयों में यूं तड़पाया ना करो……!!!
~ अज्ञात
तुम दिल से हमें यों पुकारा ना करो, यु तुम हमें इशारा ना करो, दूर हैं तुमसे ये मजबूरी है हमारी, तुम तन्हाइयों में यूं तड़पाया ना करो……!!!
नदी को सागर से मिलने से ना रोको,
बारिस की बूंदों को धरती से मिलने से ना रोको,
जिन्दा रहने के लिए तुमको देखना जरुरी है,
मुझे तुम्हारा दीदार करने से ना रोको……!!!
~ अज्ञात
नदी को सागर से मिलने से ना रोको, बारिस की बूंदों को धरती से मिलने से ना रोको, जिन्दा रहने के लिए तुमको देखना जरुरी है, मुझे तुम्हारा दीदार करने से ना रोको……!!!
दोनों जानते है के, हम नहीं एक-दूसरे के नसीब में,
फिर भी मोहब्बत दिन-ब-दिन बे-पनाह होती जा रही है…….!!!
~ अज्ञात
दोनों जानते है के, हम नहीं एक-दूसरे के नसीब में, फिर भी मोहब्बत दिन-ब-दिन बे-पनाह होती जा रही है…….!!!
इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से
मोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते
~ फ़रहत एहसास
इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से मोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते
अज्ञात
हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम
View Shayariअज्ञात
बह जाती काश यादें भी,, आँसुओ के साथ एक दिन हम भी रो लेते तसल्ली से बैठकर।
View Shayariअज्ञात
तेरे चेहरे पर उदासी, आँखों में नमी है, टाटा नमक का इस्तेमाल करो, क्योंकि तुम में आयोडीन की कमी है।
View Shayariअज्ञात
लोग इंसान देख कर प्यार करते हैं मैने प्यार करके एक इंसान को देख लिया।
View Shayariअज्ञात
वो मोहब्बत जो अधूरी रह गई थी, उसका दर्द आज भी मेरे दिल में जिन्दा है।
View Shayariमुझे शिकवा नहीं कुछ बेवफ़ाई का तेरी हरगिज़,
मुझे शिकवा नहीं कुछ बेवफ़ाई का तेरी हरगिज़, गिला तो तब हो अगर तूने किसी से निभाई हो…!!
अज्ञाततूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई,
तूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई, अदालत भी तेरी थी गवाह भी तू ही थी…!!
अज्ञातबेवफाई का ताज तुम्हे मुबारक हो बड़े
बेवफाई का ताज तुम्हे मुबारक हो बड़े इत्मीनान से खेले हो मेरे इस मासूम दिल से…!!
अज्ञातवफ़ा के नाम से मेरे सनम अनजान थे,
वफ़ा के नाम से मेरे सनम अनजान थे, किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे, हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला, हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे।
अज्ञातनहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़
नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़ गिला तब हो अगर तू ने किसी से भी निभाई हो
ख़्वाजा मीर दर्दकहते हैं लोग बेवफा तुझे, पर मेरा दिल नहीं मानता,
कहते हैं लोग बेवफा तुझे, पर मेरा दिल नहीं मानता, तेरी यादें, तेरा एहसास, अब भी दिल को बहुत सताता।
अज्ञात🎉 Shayari Week Special! 🎉
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"