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बदन के कर्ब को वो भी समझ न पाएगा
मैं दिल में रोऊँगी आँखों में मुस्कुराऊँगी
चलो अब दरिया में डूबने का हुनर सीखते हैं।हैं
जो तैरतै कर निकल जाते है मोती उन्हें नहीं मिलती हैं।हैं।
उनकी तारीफ क्या पूछते हो उम्र सारी गुनाहों में गुजरी
अब शरीफ बन रहे हैं वो ऐसे जैसे गंगा नहाये हुए हैं
इश्क़-विश्क़ ये चाहत-वाहत मन का भुलावा फिर मन भी अपना क्या
यार ये कैसा रिश्ता जो अपनों को ग़ैर करे मौला ख़ैर करे
तिरा ख़त आने से दिल को मेरे आराम क्या होगा
ख़ुदा जाने कि इस आग़ाज़ का अंजाम क्या होगा
More Shayari
Motivational Shayari

ख़ुद से प्यार करना सीखो,
लोगों का क्या,
आज तुम्हारे हैं,
कल किसी और के हो जाएँगे।
~ अज्ञात
उस्ताद कोई ज़ोर मिला क़ैस को शायद
ली राह जो जंगल की दबिस्ताँ से निकल कर

ख़ुद से प्यार करना सीखो,
लोगों का क्या,
आज तुम्हारे हैं,
कल किसी और के हो जाएँगे।
~ अज्ञात
जिसमे उबाल हो ऐसा खून चाहिए,
जीत के खातिर ऐसा जुनून चाहिए,
ये आसमान भी आएगा जमीन पर,
बस इरादों में ऐसी गूंज चाहिये!

ख़ुद से प्यार करना सीखो,
लोगों का क्या,
आज तुम्हारे हैं,
कल किसी और के हो जाएँगे।
~ अज्ञात

ख़ुद से प्यार करना सीखो,
लोगों का क्या,
आज तुम्हारे हैं,
कल किसी और के हो जाएँगे।
~ अज्ञात
हौसला गर है तो डर किस बात का,
ये मंजिल क्या सारी दुनिया तुम्हारे घुटने टेक देगी।
Festival Shayari

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

तेज धूप में छांव की छाया,
बाकी सब महादेव की माया!
~ अज्ञात
तेज धूप में छांव की छाया, बाकी सब महादेव की माया!
हर किसी को नहीं मिलती यहां सच्ची खुशी, कई बार जिंदगी में बस ग़म ही हमारे साथी होते हैं।
इन दिनों गरचे दकन में है बड़ी क़द्र-ए-सुख़न कौन जाए 'ज़ौक़' पर दिल्ली की गलियाँ छोड़ कर

हासिल हैं मुझे जमाने भर की खुशियाँ,
मेरी हर खुशी को बस तुझ पर लुटाना है।
~ अज्ञात
हासिल हैं मुझे जमाने भर की खुशियाँ, मेरी हर खुशी को बस तुझ पर लुटाना है।
Funny Shayari
अज्ञात

ये कैसा अफवाह है भाई,
बीएफ मतलब बारवी फैल,
और जीएफ मतलब ग्यारविह फैल!
~ अज्ञात

तमन्ना हो अगर मिलने की,
तो हाथ रखो दिल पर,
हम धड़कनों में मिल जायेंगे……!!!
~ अज्ञात
तमन्ना हो अगर मिलने की, तो हाथ रखो दिल पर, हम धड़कनों में मिल जायेंगे……!!!

अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
~ बशीर बद्र
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा

तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे
~ क़ैसर-उल जाफ़री
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे

खुद आपको नहीं पता की, आप कितनी प्यारी हो,
जान हो हमारी पर जान से प्यारी हो।
~ अज्ञात
खुद आपको नहीं पता की, आप कितनी प्यारी हो, जान हो हमारी पर जान से प्यारी हो।

एक बात कहूँ जानेमन,
एक दूसरे की गलतियों को छुपा कर,
एक दूसरे का साथ देना ही,
सच्ची मोहब्बत है।
~ अज्ञात
एक बात कहूँ जानेमन, एक दूसरे की गलतियों को छुपा कर, एक दूसरे का साथ देना ही, सच्ची मोहब्बत है।
अज्ञात
न जाने किस लिए उम्मीद-वार बैठा हूँ इक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुज़र भी नहीं
View Shayariअज्ञात
“ख़ामोशी का मतलब ये नहीं कि हमें दर्द नहीं होता, बल्कि दिल से रोते हैं पर दिखाते नहीं।”
View Shayariअज्ञात
चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
View Shayariअज्ञात
खामोशियों में छुपी हैं कई बातें, जो कहनी थीं तुमसे, पर अब नहीं कह पाते।
View Shayariमुद्दा ये नही की दाल महंगी है गालिब
मुद्दा ये नही की दाल महंगी है गालिब दर्द ये है की किसी की गल नही रही
अज्ञातदिल का दर्द, लबों पर नहीं आता,
दिल का दर्द, लबों पर नहीं आता, तेरी बेवफाई में, दिल रोज जलता जाता।
अज्ञातदिल टूटा, ख्वाब बिखरे,
दिल टूटा, ख्वाब बिखरे, तेरी यादों में बस एक बेवफाई की दास्तां रह गई।
अज्ञातकोमल, दयालु लगते थे जो हसीन लोग,
कोमल, दयालु लगते थे जो हसीन लोग, वास्ता पड़ा तो कठोर और पत्थर के निकले…!!
अज्ञातजिनकी चैन से गुजरतीं हो रातें
जिनकी चैन से गुजरतीं हो रातें वो हमसे बात क्या करेंगे जिनके हो हजारो चाहने वाले वो भला हमें याद क्या करेंगे
अज्ञाततुम्हारी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की,
तुम्हारी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की, में बेवजह खुद को खुशनसीब समझने लगा !
अज्ञातउस इंसान के लिए आखिर कब तक रोता रहूँगा,
उस इंसान के लिए आखिर कब तक रोता रहूँगा, जो मुझे छोड़ कर किसी और के साथ खुश हैं।
अज्ञाततूने छोड़ दिया उसका ज्यादा गम नहीं,
तूने छोड़ दिया उसका ज्यादा गम नहीं, पर तूने मेरे जिस्म और जज्बातो से खेला, इसका दुःख कोई कम नहीं…!!
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"