loneliness Shayari
सुब्ह-ए-रौशन को अंधेरों से भरी शाम न दे
दिल के रिश्ते को मिरी जान कोई नाम न दे
~ Amita Parasuram Mita“सरफ रोशन रहे तेरा, मेरे हिस्से में चाहे धूल हो,
फिर भी यही दुआ करूंगा तेरी हर दुआ कबूल हो..!!!”
~ अज्ञातकिसी दिन तो होगी रोशन मेरी भी जिंदगी
मुझे इंतजार सुबह का नहीं आपकी रहमत का है !!
~ अज्ञातरौशन है आफ़्ताब की निस्बत चराग़ से
निस्बत वही है आप में और आफ़्ताब में
~ Ismail Meerthiकई चाँद थे सर-ए-आसमाँ कि चमक चमक के पलट गए
न लहू मिरे ही जिगर में था न तुम्हारी ज़ुल्फ़ सियाह थी
~ Ahmed Mushtaqऐसा चेहरा है तेरा जैसा रोशन सवेरा
जिस जगह तू नहीं है उस जगह है अँधेरा
कैसे फिर चैन तुझ बिन तेरे बदनाम लेंगे
हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे!!!
~ अज्ञातहम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे
जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे
बैठ कर मैं लिख गया हूँ दर्द-ए-दिल का माजरा
ख़ून की इक बूँद काग़ज़ को रंगीला कर गई
वो अहले महफिल अहले वफ़ा खोजते रहे
वो आशिक है जो पत्थर में खुदा खु खोजते रहे
अंधेअं धेरे में उसने हजार तीर चलाए हैं
उजाला हुआ तो तीरे जख्म खोजते रहे
मैं अजब ये रस्म देखी मुझे रोज़-ए-ईद-ए-क़ुर्बां
वही ज़ब्ह भी करे और वही ले सवाब उल्टा
More Shayari
Motivational Shayari

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा,
आंख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा।
~ अज्ञात
उम्र को अगर हराना है तो शौक ज़िंदा रखिये,
घुटने चले या न चले, मन उड़ता परिंदा रखिये।

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा,
आंख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा।
~ अज्ञात
कमाल-ए-जोश-ए-जुनूँ में रहा मैं गर्म-ए-तवाफ़
ख़ुदा का शुक्र सलामत रहा हरम का ग़िलाफ़

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा,
आंख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा।
~ अज्ञात
वो हर्फ़-ए-राज़ कि मुझ को सिखा गया है जुनूँ
ख़ुदा मुझे नफ़स-ए-जिबरईल दे तो कहूँ

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा,
आंख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा।
~ अज्ञात
Festival Shayari

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

कठिन राह उपकार की इतना रहे ख़याल
पगड़ी ज़रा सी भूल पर देते लोग उछाल
~ Bhagwan Das Ijaz
कठिन राह उपकार की इतना रहे ख़याल पगड़ी ज़रा सी भूल पर देते लोग उछाल
आदमी क्या वो न समझे जो सुख़न की क़द्र को नुत्क़ ने हैवाँ से मुश्त-ए-ख़ाक को इंसाँ किया

अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो
~ Ahmed Faraz
अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो
Funny Shayari
अज्ञात

ऐ खुदा हिचकियों में कुछ तो फर्क डाला होता,
अब कैसे पता करूँ कि कौनसी वाली याद कर रही है!
~ अज्ञात

एक शर्त पर खेलूँगा ये प्यार की बाज़ी,
मैं जीतू तो तुझे पाऊँ, और हारूँ तो तेरा हो जाऊ……!!!
~ अज्ञात
एक शर्त पर खेलूँगा ये प्यार की बाज़ी, मैं जीतू तो तुझे पाऊँ, और हारूँ तो तेरा हो जाऊ……!!!

तू मिल गई है तो मुझपे नाराज है खुदा
कहता है कि तू अब कुछ मांगता ही नहीं !
~ अज्ञात
तू मिल गई है तो मुझपे नाराज है खुदा कहता है कि तू अब कुछ मांगता ही नहीं !

सच्ची मोहब्बत एक जेल के कैदी की तरह होती है
जिसमें उम्र बीत भी जाती है और सजा भी पूरी नहीं होती है !
~ अज्ञात
सच्ची मोहब्बत एक जेल के कैदी की तरह होती है जिसमें उम्र बीत भी जाती है और सजा भी पूरी नहीं होती है !

दुनिया को खुशी चाहिए,
और मुझे हर खुशी में तुम !
~ अज्ञात
दुनिया को खुशी चाहिए, और मुझे हर खुशी में तुम !

तुम बरसात में मेरी धूप हो,
अंधेरे में मेरी रोशनी हो,
आजकल की दुनिया में मेरा प्यार हो।
मैं तुम्हें शब्दों से अधिक हो,
कार्यों में व्यक्त करने से अधिक हो,
जीवन के प्यार से भी अधिक हो।
~ अज्ञात
तुम बरसात में मेरी धूप हो, अंधेरे में मेरी रोशनी हो, आजकल की दुनिया में मेरा प्यार हो। मैं तुम्हें शब्दों से अधिक हो, कार्यों में व्यक्त करने से अधिक हो, जीवन के प्यार से भी अधिक हो।
अज्ञात
हम तो तन्हाई में भी हंसते हैं, पर दिल के अंदर का दर्द कभी कोई नहीं देख पाता।
View Shayariअज्ञात
शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं
View Shayariइफ़्तिख़ार नसीम
मुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करे कब मैं कहता हूँ मुझे प्यार ही करता जाए
View Shayariअज्ञात
तुमसे बिछड़कर भी, तुम्हें भुला नहीं पाते, ये दिल तुम्हारी यादों से दूर जा नहीं पाता।
View Shayariपरवीन शाकिर
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
View Shayariये सोच के माँ बाप की ख़िदमत में लगा हूँ
इस पेड़ का साया मिरे बच्चों को मिलेगा
~ Munawwar Ranaहांथ पैरपै मुंहमुं नाक से ले कर दादा दादी चाचा चाची बहन भाई रोना हंसहं ना तक सिखाती है।है
वो एक मां हीं है जो अपने बच्चेको एक गुरु के लायक बनाती है।।है
~ अज्ञातदिल में बसी है ख़ामोशियों की गहराई,
दिल में बसी है ख़ामोशियों की गहराई, तूने तो बेवफ़ाई से रिश्ते तोड़ दिए…!!
अज्ञातकैसे गलत कह दूँ तेरी बेवफाई को,
कैसे गलत कह दूँ तेरी बेवफाई को, यही तो है जिसने मुझे मशहूर किया है !
अज्ञातरो पड़ा वो फकीर भी मेरे हाथों की लकीरें देखकर
रो पड़ा वो फकीर भी मेरे हाथों की लकीरें देखकर बोला तुझे मौत नही किसी की याद मारेगी….
अज्ञातसबसे मांग ली माफ़ी,
सबसे मांग ली माफ़ी, सबका मैने ही तो दिल दुखाया है सब हैं दूध के धुले हुए,, इसलिए हमने खुद से ही खुद को बेवफ़ा बुलाया है..!!
अज्ञातएक अजीब सा मंजर नज़र आता है,
एक अजीब सा मंजर नज़र आता है, हर एक आंसू समंदर नज़र आता हैं, कहाँ रखूं मैं शीशे सा दिल अपना, हर किसी के हाथ मैं पत्थर नज़र आता हैं।
अज्ञातवह रोयी तो होगी खाली कागज देखकर,
वह रोयी तो होगी खाली कागज देखकर, पूछा था उसने अब कैसे गुजर रही है जिंदगी…!!
अज्ञातवो बेवफा है, ये जानते हुए भी उसे चाहा,
वो बेवफा है, ये जानते हुए भी उसे चाहा, इश्क में ये दिल अक्सर खुद से ही हारा।
अज्ञात
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❤️ अपनी भावनाओं को शायरी में ढालें ❤️
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"