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मुजे भारतीय होने का बिलकुल भी गर्व नही है
कयुकी यु
मुजे भारतीय होने का बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत गर्व है
मंदिमं र मंदिमं र में जा कर ढूंढा, ढूंढा हर आसमान।
हर कण कण में प्रभुछुपकर बैठा बै ,नादा हर इंसा इं न।।
हम क़ाफ़िले से बिछड़े हुए हैं मगर 'नबील'
इक रास्ता अलग से निकाले हुए तो हैं
पहना जो मैं ने जामा-ए-दीवानगी तो इश्क़
बोला कि ये बदन पे तिरे सज गया लिबास
खुद को कमजोर समझना मेरी सबसे बड़ी भूल है,
मेरी ताकत मेरे अंदर है, इसे हर कोई नहीं देख सकता।
तुम साथ थी तो जन्नत थी मेरी ज़िन्दगी,
अब तो हर साँस ज़िंदा रहने की वजह पूछती है…!!
More Shayari
Motivational Shayari

हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं
तुम्हारे देखने वालों में यार हम भी हैं
~ Ameer Meenai
कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं,
नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है।

हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं
तुम्हारे देखने वालों में यार हम भी हैं
~ Ameer Meenai
रंग-ए-महफ़िल चाहता है इक मुकम्मल इंक़लाब,
चंद शम्ओं के भड़कने से सहर होती नहीं।

हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं
तुम्हारे देखने वालों में यार हम भी हैं
~ Ameer Meenai
लोग चुन लें जिस की तहरीरें हवालों के लिए,
ज़िंदगी की वो किताब-ए-मो’तबर हो जाइए।

हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं
तुम्हारे देखने वालों में यार हम भी हैं
~ Ameer Meenai
हौसला गर है तो डर किस बात का,
ये मंजिल क्या सारी दुनिया तुम्हारे घुटने टेक देगी।
Festival Shayari

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

जुगनू चमके आस के उजली हो गई शाम
पंछी उन के गाँव से लाया है पैग़ाम
~ Bhagwan Das Ijaz
जुगनू चमके आस के उजली हो गई शाम पंछी उन के गाँव से लाया है पैग़ाम
सय्याद नाला सन के जो रोया तो लुत्फ़ किया कुंज-ए-क़फ़स में बाग़ से उड़ उड़ के आए गिल
तिरे सुख़न में ऐ नासेह नहीं है कैफ़िय्यत ज़बान-ए-क़ुलक़ुल-ए-मीना सीं सुन कलाम-ए-शराब
Funny Shayari
अकबर इलाहाबादी

बूट डासन ने बनाया मैं ने इक मज़मूँ लिखा
मुल्क में मज़मूँ न फैला और जूता चल गया
~ अकबर इलाहाबादी

हम अपनी दिलपसंद पनाहों में आ गए,
जब हम सिमट के आपकी बाहों में आ गए…..!!!
~ अज्ञात
हम अपनी दिलपसंद पनाहों में आ गए, जब हम सिमट के आपकी बाहों में आ गए…..!!!

इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो
थक गए हो तो मिरे काँधे पे बाज़ू रक्खो
~ इफ़्तिख़ार नसीम
इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो थक गए हो तो मिरे काँधे पे बाज़ू रक्खो

आये हो जो आँखों में कुछ देर ठहर जाओ,
एक उम्र गुजरती है एक ख्वाब सजाने में………!!!
~ अज्ञात
आये हो जो आँखों में कुछ देर ठहर जाओ, एक उम्र गुजरती है एक ख्वाब सजाने में………!!!

दुनिया को खुशी चाहिए,
और मुझे हर खुशी में तुम !
~ अज्ञात
दुनिया को खुशी चाहिए, और मुझे हर खुशी में तुम !

एक बार उसने कहा था,
मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना,
बस फिर क्या था,
तबसे मोहब्बत की नजर से हमने खुद को भी नहीं देखा…..!!!
~ अज्ञात
एक बार उसने कहा था, मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना, बस फिर क्या था, तबसे मोहब्बत की नजर से हमने खुद को भी नहीं देखा…..!!!
अज्ञात
हंसते हुए चेहरे के पीछे छुपे होते हैं कई ग़म, जिंदगी की सच्चाई हर किसी के बस की बात नहीं।
View Shayariअज्ञात
बहुत अजीब हैं, तेरे बाद की, ये बरसातें भी, हम अक्सर बन्द कमरे में, भीग जाते हैं।
View Shayariअज्ञात
दिल की बातें अब किससे कहें, तुम्हारे बाद इस दिल में कोई जगह ही नहीं बची।
View Shayariशकील बदायूनी
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
View Shayariअज्ञात
जिंदगी के इस सफर में कभी खुशी, कभी ग़म हैं, हर मोड़ पर नए-नए इम्तिहान हैं।
View Shayariदर्द-ए-बेवफ़ाई की तेरे नाम से है जुड़ी,
दर्द-ए-बेवफ़ाई की तेरे नाम से है जुड़ी, तूने तो वफ़ादारी की शान छीन ली है…!!
अज्ञातअब मैंने खुद का धयान रखना शुरू कर दिया है,
अब मैंने खुद का धयान रखना शुरू कर दिया है, क्योंकि धयान रखने वाले अब बदल चुके है…!!
अज्ञाततेरी बेवफाई का सौ बार शुक्रिया,
तेरी बेवफाई का सौ बार शुक्रिया, मेरी जान छूटी इश्क़-ऐ-बवाल से…!!
अज्ञातहादसों के गवाह हम भी है
हादसों के गवाह हम भी है अपने दिल से तबाह हम भी है जुर्म के बिना सज़ा ए मौत मिली है ऐसे बेगुनाह हम भी है
अज्ञातउस इंसान के लिए आखिर कब तक रोता रहूँगा,
उस इंसान के लिए आखिर कब तक रोता रहूँगा, जो मुझे छोड़ कर किसी और के साथ खुश हैं।
अज्ञातहर सितम सहकर कितने ग़म छिपाये हमने,
हर सितम सहकर कितने ग़म छिपाये हमने, तेरी खातिर हर दिन आँसू बहाये हमने, तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला, बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने !!
अज्ञातसबको समझते समझते मैं खुद समझ गया,
सबको समझते समझते मैं खुद समझ गया, कोई नहीं मिलेगा मुझे समझने वाला…!!
अज्ञातवो कहती हैं
वो कहती हैं बहुत मजबूरियाँ हैं वक़्त की वो साफ़ लफ़्ज़ों में ख़ुद को बेवफ़ा नहीं कहती
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"