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जंगजं कैसी भी हो जीती जा सकती है, हैमसला कोई भी हल किया जा सकता है।है
बात गद्दारी करने की थी वर्ना, हालत कैसी भी हो लेकिन निभाई जा सकती है।।है
वाकिफ कहां ज़माना हमारी उड़ान से,
वो और थे जो हार गए आसमान से।
आपकी उड़ान ऐसी है कि आप कभी हारेंगे नहीं,
ये बात सबको बता दीजिए।
ख़ामुशी टूटेगी आवाज़ का पत्थर भी तो हो
जिस क़दर शोर है अन्दर कभी बाहर भी तो हो
“अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा
जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नहीं रहा…”
ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर
वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं
हर कूचा शो'ला-ज़ार है हर शहर क़त्ल-गाह
यक-जेहती-ए-हयात के आदाब क्या हुए
More Shayari
Motivational Shayari

बहुत नाकाम इंसान हूँ मैं,
पहले तुझको पाने में नाकाम रहा फिर भुलाने में!
~ अज्ञात
न तो होश से तआरुफ़ न जुनूँ से आश्नाई
ये कहाँ पहुँच गए हैं तिरी बज़्म से निकल के

बहुत नाकाम इंसान हूँ मैं,
पहले तुझको पाने में नाकाम रहा फिर भुलाने में!
~ अज्ञात
राह संघर्ष की जो चलता है,
वो ही संसार को बदलता है,
जिसने रातों से जंग जीती है,
सूर्य बनकर वही निकलता है।

बहुत नाकाम इंसान हूँ मैं,
पहले तुझको पाने में नाकाम रहा फिर भुलाने में!
~ अज्ञात

बहुत नाकाम इंसान हूँ मैं,
पहले तुझको पाने में नाकाम रहा फिर भुलाने में!
~ अज्ञात
Festival Shayari

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

रौशन है आफ़्ताब की निस्बत चराग़ से
निस्बत वही है आप में और आफ़्ताब में
~ Ismail Meerthi
रौशन है आफ़्ताब की निस्बत चराग़ से निस्बत वही है आप में और आफ़्ताब में
हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह – मीना कुमारी नाज़

वफ़ा-शिआर कई हैं कोई हसीं भी तो हो
चलो फिर आज उसी बेवफ़ा की बात करें
~ Sahir Ludhianvi
वफ़ा-शिआर कई हैं कोई हसीं भी तो हो चलो फिर आज उसी बेवफ़ा की बात करें
Funny Shayari
अज्ञात

रात को चुकंदर खाए थे बेहिसाब,
सुबह उठे तो हो गया पेट खराब!
~ अज्ञात

मैं बेचैन सा लगता हूं
वो राहत जैसी लगती हैं
मैं खो जाता हूं ख्वाबों में
वो भीतर मेरे जगती हैं !
~ अज्ञात
मैं बेचैन सा लगता हूं वो राहत जैसी लगती हैं मैं खो जाता हूं ख्वाबों में वो भीतर मेरे जगती हैं !

तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे
~ क़ैसर-उल जाफ़री
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे

ए खुदा उन्हे हमेशा खुश रखना जिन्हे,
हम तुमसे भी पहले याद किया करते है……!!!
~ अज्ञात
ए खुदा उन्हे हमेशा खुश रखना जिन्हे, हम तुमसे भी पहले याद किया करते है……!!!

हम तो आँखों में संवरते हैं, वही संवरेंगे,
हम नहीं जानते आईने कहाँ रखें हैं……..!!!
~ अज्ञात
हम तो आँखों में संवरते हैं, वही संवरेंगे, हम नहीं जानते आईने कहाँ रखें हैं……..!!!

तू मिल गई है तो मुझपे नाराज है खुदा
कहता है कि तू अब कुछ मांगता ही नहीं !
~ अज्ञात
तू मिल गई है तो मुझपे नाराज है खुदा कहता है कि तू अब कुछ मांगता ही नहीं !
अज्ञात
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
View Shayariअज्ञात
किस्मत ने हमें हर बार अलग कर दिया, हमने हर बार उसे साथ रहने की दुआ की।
View Shayariअज्ञात
“दिल की मोहब्बत में अक्सर धोखा ही मिलता है, क्योंकि कोई भी दिल से वफा नहीं करता।”
View Shayariअज्ञात
दिल की बातें अब किससे कहें, तुम्हारे बाद इस दिल में कोई जगह ही नहीं बची।
View Shayariअज्ञात
कभी खुशी की तलाश में इतना खो जाते हैं, कि खुद को ही गुम कर बैठते हैं।
View Shayariतुम नहीं मिले तो क्या हुआ,
तुम नहीं मिले तो क्या हुआ, मैं जिंदगी भर तुम्हें ही चाहता रहूंगा, यह जरूरी तो नहीं है की तुम, मुझे ना चाहो तो मैं भी तुम्हें छोड़ दूं…!!
अज्ञातदिल का दरिया था, बहते चला गया,
दिल का दरिया था, बहते चला गया, दर्द की लहरों में खुद को तू बहा गया…!!
अज्ञातन मुदारात हमारी न अदू से नफ़रत
न मुदारात हमारी न अदू से नफ़रत न वफ़ा ही तुम्हें आई न जफ़ा ही आई
बेखुद बदायुनीमुद्दा ये नही की दाल महंगी है गालिब
मुद्दा ये नही की दाल महंगी है गालिब दर्द ये है की किसी की गल नही रही
अज्ञातएटीटूड दिखाने वालों को हम मुंह नहीं लगाते,
एटीटूड दिखाने वालों को हम मुंह नहीं लगाते, शराफत दिखाने वाले हमारे दिलों में राज करते हैं…!!
अज्ञातकिसी को अगर दिल से,
किसी को अगर दिल से, अपना माना हो और वह हमें, अपना ना समझे तो आखें ही नहीं, दिल भी रो देता है…!!
अज्ञातमोहब्बत की वो गलियां, अब सुनसान पड़ी हैं,
मोहब्बत की वो गलियां, अब सुनसान पड़ी हैं, तेरी बेवफाई ने, इश्क को भी शर्मसार किया है।
अज्ञात
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Top Categories
❤️ अपनी भावनाओं को शायरी में ढालें ❤️
शायरी, वो कला है जो दिल से निकल कर सीधे दिल तक पहुंचती है। हर शब्द में छुपा है अनकही कहानियों का खजाना। आइए, अपने जज़्बातों को खूबसूरत अल्फाज़ों में बदलें।

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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"