Author Details

Pen Name:'Majrooh'
Real Name:Asrar Hasan Khan
Born:01 Oct 1919 | Sultanpur, Uttar pradesh
Died:24 May 2000 | Mumbai, Maharashtra
One of the most lyrical of ghazal poets associated with progressive movement. Outstanding film lyricist. Recipient of Dada Sahab Phalke award.One of the most lyrical of ghazal poets associated with progressive movement. Outstanding film lyricist. Recipient of Dada Sahab Phalke award.
More Shayari
Motivational Shayari

यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूं,
धूप कितनी भी तेज हो समंदर नहीं सूखा करते।
~ अज्ञात
रास्ता सोचते रहने से किधर बनता है,
सर में सौदा हो तो दीवार में दर बनता है।

यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूं,
धूप कितनी भी तेज हो समंदर नहीं सूखा करते।
~ अज्ञात
अख़्तर’ गुज़रते लम्हों की आहट पे यूँ न चौंक,
इस मातमी जुलूस में इक ज़िंदगी भी है।

यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूं,
धूप कितनी भी तेज हो समंदर नहीं सूखा करते।
~ अज्ञात

यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूं,
धूप कितनी भी तेज हो समंदर नहीं सूखा करते।
~ अज्ञात
लक्ष्य को पाने के लिए यदि हम तन,
मन और धन लगा देते हैं, सच कहता हूं,
कुंडली के सितारे भी अपनी जगह बदल देते हैं।
Festival Shayari

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

ग़म सीं अहल-ए-बैत के जी तो तिरा कुढ़ता नहीं
यूँ अबस पढ़ता फिरा जो मर्सिया तो क्या हुआ
~ Aabru Shah Mubarak
ग़म सीं अहल-ए-बैत के जी तो तिरा कुढ़ता नहीं यूँ अबस पढ़ता फिरा जो मर्सिया तो क्या हुआ
ऐ ज़िन्दगी तू खेलती बहुत है खुशियो से हम भी इरादे के पक्के है मुस्कुराना नहीं छोड़ेंगे !
Funny Shayari
अज्ञात

जो सवाल रहते है निगाहो से दूर,
साले वही सवाल कंपलसरी होते है!
~ अज्ञात
धोखा मिला मुझें प्यार में,
ज़िंदगी पूरी उदास हो गई,
सोचा आग लगा देंगे इस दुनिया को,
कमबख्त वैसे ही कॉलोनी में कोई दूसरी आ गई!

चलो सिक्का उछाल के कर लेते हैं फैसला आज,
चित आये तो तुम मेरे और पट आये तो हम तेरे…..!!!
~ अज्ञात
चलो सिक्का उछाल के कर लेते हैं फैसला आज, चित आये तो तुम मेरे और पट आये तो हम तेरे…..!!!

हकीकत कहो तो उन्हें ख्वाब लगता है,
संजीदा रहो तो उन्हें मज़ाक लगता है,
कितनी शिद्दत से उन्हें याद करते हैं,
वो हैं जिन्हें ये सब कुछ मजाक लगता है।
~ अज्ञात
हकीकत कहो तो उन्हें ख्वाब लगता है, संजीदा रहो तो उन्हें मज़ाक लगता है, कितनी शिद्दत से उन्हें याद करते हैं, वो हैं जिन्हें ये सब कुछ मजाक लगता है।

वो जो हमारे लिए ख़ास होते हैं,
जिनके लिए दिल में एहसास होते हैं,
चाहे वक़्त कितना भी दूर कर दे उन्हें,
पर दूर रहकर भी वो दिल के पास होते हैं…….!!!
~ अज्ञात
वो जो हमारे लिए ख़ास होते हैं, जिनके लिए दिल में एहसास होते हैं, चाहे वक़्त कितना भी दूर कर दे उन्हें, पर दूर रहकर भी वो दिल के पास होते हैं…….!!!

आप हमेशा-हमेशा के लिए मेरे जीवनसाथी, मेरे प्यार, मेरे सब कुछ है।
~ अज्ञात
आप हमेशा-हमेशा के लिए मेरे जीवनसाथी, मेरे प्यार, मेरे सब कुछ है।

लोग पूछते हैं की तुम क्यूँ अपनी मोहब्बत का इज़हार नहीं करते,
हमने कहा जो लब्जों में बयां हो जाये,
सिर्फ उतना हम किसी से प्यार नहीं करते……….!!!
~ अज्ञात
लोग पूछते हैं की तुम क्यूँ अपनी मोहब्बत का इज़हार नहीं करते, हमने कहा जो लब्जों में बयां हो जाये, सिर्फ उतना हम किसी से प्यार नहीं करते……….!!!
अज्ञात
दिल चाहता है कि तुझसे फिर मुलाकात हो, पर ये ख्वाब अब सिर्फ ख्वाब ही रह गया है।
View Shayariअज्ञात
बेहतर हैं उन रिश्तों का टूट जाना, जिस रिश्ते की, वजह से, आप टूट रहे हैं..
View Shayariअज्ञात
उदासियों की वजह तो बहुत है ज़िन्दगी में, मगर बेवजह मुस्कुराने की, मज़ा ही कुछ और है ज़िन्दगी में।
View Shayariअज्ञात
तेरे बिना हर रात अधूरी सी लगती है, जैसे किसी रात को चांद छुपा हो बादलों में।
View Shayariअज्ञात
मुस्कुराने की आरजू मे छुपाया जो दर्द को अश्क हमारी आखो मे पत्थर के हो गए
View Shayariगुलज़ार
ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा वगर्ना ज़िंदगी भर को रुला दिया होता
View Shayariये सोच के माँ बाप की ख़िदमत में लगा हूँ
इस पेड़ का साया मिरे बच्चों को मिलेगा
~ Munawwar Ranaहांथ पैरपै मुंहमुं नाक से ले कर दादा दादी चाचा चाची बहन भाई रोना हंसहं ना तक सिखाती है।है
वो एक मां हीं है जो अपने बच्चेको एक गुरु के लायक बनाती है।।है
~ अज्ञातदिल टूटा, आंसू रुके ना, तेरी बेवफाई में कुछ ऐसा असर था।
दिल टूटा, आंसू रुके ना, तेरी बेवफाई में कुछ ऐसा असर था। तू चली गई, छोड़ अकेला, इस दिल का अब क्या करूं मैं बता?
अज्ञातजिनके दिल में पहले से,
जिनके दिल में पहले से, बेवफाई छुपी होती है, वह अक्सर वफा के नाम से, डरते रहते हैं…!!
अज्ञातबेवफा तू नहीं, तेरे वादे थे बेवफा,
बेवफा तू नहीं, तेरे वादे थे बेवफा, तेरी यादें अब भी इस दिल में बसी हुई हैं।
अज्ञातमैं सच्चे इश्क की किताब पढ़ रहा हूँ
मैं सच्चे इश्क की किताब पढ़ रहा हूँ और तुम बेवफा हो तुम्हारा मुँह छिपा लेना तो लाजमी है..!!
अज्ञातजान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना
जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था
जौन एलियाउस बेवफ़ा से कर के वफ़ा मर-मिटा ‘रज़ा’
उस बेवफ़ा से कर के वफ़ा मर-मिटा ‘रज़ा’ इक क़िस्सा-ए-तवील का ये इख़्तिसार है
आले रज़ा रज़ा
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"