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उसकी मोहब्बत के खातिर
हम जहां से लड़ बैठे,
बड़े नासमझ थे हम,
एक बेवफा से उम्मीद-ए वफा कर बैठे…
ज़िन्दगी में बार-बार सहारा नहीं मिलता,
बार-बार कोई प्यार से प्यारा नहीं मिलता।
है जो पास उसे संभाल के रखना,
खोया हुआ प्यार फिर कभी दोबारा नहीं मिलता।
मिरे पास ऐसा तिलिस्म है जो कई ज़मानों का इस्म है
उसे जब भी सोचा बुला लिया उसे जो भी चाहा बना दिया
लुट के मंज़िल से कोई यूँ तो न आया होगा
जिस तरह छोड़ के हम शहर-ए-अदम निकले हैं
काश कोई ऐसा हो जो गले लग कर कहे
तेरे दर्द में मैं भी साथ हूँ मुझे भी दर्द होता है|
More Shayari
Motivational Shayari

नाज़ क्या इस पे जो बदला है ज़माने ने तुम्हें,
मर्द हैं वो जो ज़माने को बदल देते हैं।
~ अकबर इलाहाबादी
यक़ीं मोहकम अमल पैहम मोहब्बत फ़ातेह-ए-आलम,
जिहाद-ए-ज़िंदगानी में हैं ये मर्दों की शमशीरें।

नाज़ क्या इस पे जो बदला है ज़माने ने तुम्हें,
मर्द हैं वो जो ज़माने को बदल देते हैं।
~ अकबर इलाहाबादी
रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज,
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं।

नाज़ क्या इस पे जो बदला है ज़माने ने तुम्हें,
मर्द हैं वो जो ज़माने को बदल देते हैं।
~ अकबर इलाहाबादी
उस्ताद कोई ज़ोर मिला क़ैस को शायद
ली राह जो जंगल की दबिस्ताँ से निकल कर

नाज़ क्या इस पे जो बदला है ज़माने ने तुम्हें,
मर्द हैं वो जो ज़माने को बदल देते हैं।
~ अकबर इलाहाबादी
Festival Shayari

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

तेरी हंसी, मेरे कानों के लिए संगीत की तरह,
मेरी आत्मा को खुशी और उत्साह से भर देती है।
~ अज्ञात
तेरी हंसी, मेरे कानों के लिए संगीत की तरह, मेरी आत्मा को खुशी और उत्साह से भर देती है।

बला की चमक उस के चेहरे पे थी
मुझे क्या ख़बर थी कि मर जाएगा
~ Ahmed Mushtaq
बला की चमक उस के चेहरे पे थी मुझे क्या ख़बर थी कि मर जाएगा
Funny Shayari

सारी दुनिया की खुशी अपनी जगह,
उन सबके बीच तेरी कमी अपनी जगह…..!!!
~ अज्ञात
सारी दुनिया की खुशी अपनी जगह, उन सबके बीच तेरी कमी अपनी जगह…..!!!

प्यार ऐसे करो की हद न हो,
भरोसा इतना करो की शक न हो,
इंतज़ार इतना करो कि वक़्त न हो,
प्यार ऐसे करो की कभी नफरत न हो।
~ अज्ञात
प्यार ऐसे करो की हद न हो, भरोसा इतना करो की शक न हो, इंतज़ार इतना करो कि वक़्त न हो, प्यार ऐसे करो की कभी नफरत न हो।

यूँ नज़रें वो नीचे किए चले जा रहें हैं,
पास आशिक़ खड़े यूँ परेशाँ हुए जा रहें हैं,
कोई कहता है ज़ालिम अपनी नज़र तो उठा,
हम तेरे रूख का दीदार करने को मरे जा रहें हैं…….!!!
~ अज्ञात
यूँ नज़रें वो नीचे किए चले जा रहें हैं, पास आशिक़ खड़े यूँ परेशाँ हुए जा रहें हैं, कोई कहता है ज़ालिम अपनी नज़र तो उठा, हम तेरे रूख का दीदार करने को मरे जा रहें हैं…….!!!

तुमने तो कहा था कि, हर शाम हाल पूछेंगे,
तुम बदल गए हो कि, तुम्हारे शहर शाम नहीं होती।
~ अज्ञात
तुमने तो कहा था कि, हर शाम हाल पूछेंगे, तुम बदल गए हो कि, तुम्हारे शहर शाम नहीं होती।

हर चीज़ “हद” में अच्छी लगती हैं,
मगर तुम हो के “बे-हद” अच्छे लगते हो……!!!
~ अज्ञात
हर चीज़ “हद” में अच्छी लगती हैं, मगर तुम हो के “बे-हद” अच्छे लगते हो……!!!
अज्ञात
“चुप हैं, खामोश हैं, मगर खोए नहीं, बस वो कहते कुछ नहीं और हम रोते कुछ नहीं।”
View Shayariमहबूब ख़िज़ां
देखते हैं बे-नियाज़ाना गुज़र सकते नहीं कितने जीते इस लिए होंगे कि मर सकते नहीं
View Shayariअज्ञात
हम तो तन्हाई में भी हंसते हैं, पर दिल के अंदर का दर्द कभी कोई नहीं देख पाता।
View Shayariअज्ञात
वो दिन भी क्या दिन थे जब तुम पास थे, आज ये लम्हे, बस यादों में उलझे रहते हैं।
View Shayariअज्ञात
तुम क्या गए कि, वक़्त का अहसास मर गया, रातों को जागते रहे, और दिन को सो गए।
View Shayariआइए बे-झिझक कहिये
आइए बे-झिझक कहिये बेवफ़ा मुझ को … मैं अब तुम्हारे बारे में कम कम सोचता हूँ…
अज्ञाततेरी मोहब्बत में धोखे का ज़हर था,
तेरी मोहब्बत में धोखे का ज़हर था, हमने समझा था इश्क, पर ये तो बस एक फरेब था।
अज्ञातप्यार गुनाह है तो होने ना देना,
प्यार गुनाह है तो होने ना देना, प्यार खुदा है तो खोने ना देना, करते हो प्यार जब किसी से तो, कभी उस प्यार को रोने ना देना।
अज्ञातखता मत गिन इश्क़ में किसने क्या गुनाह किया
खता मत गिन इश्क़ में किसने क्या गुनाह किया इश्क़ एक नशा था तूने भी किया और मैंने भी किया
अज्ञातहमसे न करिये बातें यूँ बेरुखी से सनम,
हमसे न करिये बातें यूँ बेरुखी से सनम, होने लगे हो कुछ-कुछ बेवफा से तुम…!!
अज्ञातहर खूबसूरत चीज को
हर खूबसूरत चीज को एक खूबसूरत चीज़ कि तलाश होती है लेकिन हर खूबसूरत चीज बेवफ़ा होती हैं…!!
अज्ञातवादा किया था तुझसे ज़िंदगी भर का,
वादा किया था तुझसे ज़िंदगी भर का, पर तूने धोखा दिया, अब इनकार क्या…!!
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"