Author Details

Pen Name:'Rahat'
Real Name:Rahatullah
Born:01 Jan 1950 | Indore, Madhya Pradesh
Died:11 Aug 2020 | Indore, Madhya Pradesh
Popular poet and film lyricist.Popular poet and film lyricist.
इक तिरी बात कि जिस बात की तरदीद मुहाल
इक मिरा ख़्वाब कि जिस ख़्वाब की ताबीर नहीं
'मजरूह' क़ाफ़िले की मिरे दास्ताँ ये है
रहबर ने मिल के लूट लिया राहज़न के साथ
अपने अंदर हँसता हूँ मैं और बहुत शरमाता हूँ
ख़ून भी थूका सच-मुच थूका और ये सब चालाकी थी
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
More Shayari
Motivational Shayari

हमने तो सीखा है बस बेखौफ मुस्कुराओ
भाड़ में जाए दुनिया, जी जलता है उसे और जलाओ!
~ अज्ञात
अपनी राह पर चलने का मेरा जज्बा किसी से कम नहीं,
चाहे किसी को भी कितनी भी कठिनाई क्यों न हो।

हमने तो सीखा है बस बेखौफ मुस्कुराओ
भाड़ में जाए दुनिया, जी जलता है उसे और जलाओ!
~ अज्ञात
निगह बुलंद सुख़न दिल-नवाज़ जाँ पुर-सोज़,
यही है रख़्त-ए-सफ़र मीर-ए-कारवाँ के लिए।

हमने तो सीखा है बस बेखौफ मुस्कुराओ
भाड़ में जाए दुनिया, जी जलता है उसे और जलाओ!
~ अज्ञात
क्या सच है इस जग का उजाला बनना या अंधेरा चुनना,
मुझे है हासिल करना अब नही है कुछ सुनना।

हमने तो सीखा है बस बेखौफ मुस्कुराओ
भाड़ में जाए दुनिया, जी जलता है उसे और जलाओ!
~ अज्ञात
Festival Shayari

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

दुख में खुशी की वजह बनती है मोहब्बत, दर्द में यादों की वजह बनती है मोहब्बत।
जब कुछ भी अच्छा नहीं लगता हमें दुनिया में, तब हमारे जीने की वजह बनती है मोहब्बत।
~ अज्ञात
दुख में खुशी की वजह बनती है मोहब्बत, दर्द में यादों की वजह बनती है मोहब्बत। जब कुछ भी अच्छा नहीं लगता हमें दुनिया में, तब हमारे जीने की वजह बनती है मोहब्बत।
बेवफाई के इस मौसम में, हर खुशी बेनूर हो गई, तेरे जाने से, जिंदगी की राहें सुनसान हो गई।

अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
~ Shakeel Badayuni
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
Funny Shayari

अक्सर प्यार में झुकना कोई बड़ी बात नहीं,
आखिर सूरज भी तो डूबता है चाँद के लिए।
~ अज्ञात
अक्सर प्यार में झुकना कोई बड़ी बात नहीं, आखिर सूरज भी तो डूबता है चाँद के लिए।

तुम मेरी पहेली का वो खोया हुआ टुकड़ा हो,
जिसे मैं जीवन भर खोजता रहा हूँ।
~ अज्ञात
तुम मेरी पहेली का वो खोया हुआ टुकड़ा हो, जिसे मैं जीवन भर खोजता रहा हूँ।

तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता
तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने
~ मुनव्वर राना
तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने

अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
~ बशीर बद्र
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा

हर चीज़ “हद” में अच्छी लगती हैं,
मगर तुम हो के “बे-हद” अच्छे लगते हो……!!!
~ अज्ञात
हर चीज़ “हद” में अच्छी लगती हैं, मगर तुम हो के “बे-हद” अच्छे लगते हो……!!!
अज्ञात
हम तो चलते रहे जिंदगी के सफर में, पर हर बार किसी न किसी मोड़ पर अकेले रह गए।
View Shayariअज्ञात
दिल से निभाने वाले अक्सर टूट जाते हैं, क्योंकि उनकी भावनाओं की कद्र कोई नहीं करता।
View Shayariअज्ञात
“दिल कहता है कि तुम वापस आ जाओ, पर दिमाग जानता है कि ये मुमकिन नहीं है।”
View Shayariअज्ञात
“जिसे चाहा उसने कभी प्यार नहीं किया, और जिसने प्यार किया उसे हम चाह नहीं पाए।”
View Shayariअज्ञात
फिर उदासी का आलम हटा लिया है तुमने, आंखो मे उमड़े हुए आंसूबहा दिया है तुमने। पत्थर तराश ने का हुनर था लाजवाब तुजमे, फिर हंसहं ते हुए तारे को सजा लिया तुमने।।
View Shayariशक से भी आजकल टूट जाते हैं
शक से भी आजकल टूट जाते हैं कुछ रिश्ते ये जरुरी नहीं हर बार कोई बेवफा ही निकले..
अज्ञातजिंदगी में कुछ इस तरह से,
जिंदगी में कुछ इस तरह से, रंग बदले हैं तूने कि, गिरगिट अगर तुम्हें देख ले, तो वह भी शरमा जाए…!!
अज्ञातक़ाएम है अब भी मेरी वफ़ाओं का सिलसिला
क़ाएम है अब भी मेरी वफ़ाओं का सिलसिला इक सिलसिला है उन की जफ़ाओं का सिलसिला
अमीता परसुराम मीताअभी पास है तो ठोकर मारकर Bewafa बना देते हो,
अभी पास है तो ठोकर मारकर Bewafa बना देते हो, जब दूर हो जाएंगे, तो प्यार जताओगे…!!
अज्ञातआज तुम हर सांस के साथ याद आ रहे हो
आज तुम हर सांस के साथ याद आ रहे हो बताओ तो जरा तुम्हारी यादें रोकू या सांसे
अज्ञातमोहब्बत तो दिल से की थी मैंने
मोहब्बत तो दिल से की थी मैंने पर दिमाग उसने लगा दिया,,, बेवफा वो खुद थे और इल्जाम मुझ पर लगा दिया…
अज्ञात
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Writing Shayari as a journaling exercise improved emotional intelligence by 25% in individuals over a six-month period.
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❤️ अपनी भावनाओं को शायरी में ढालें ❤️
शायरी, वो कला है जो दिल से निकल कर सीधे दिल तक पहुंचती है। हर शब्द में छुपा है अनकही कहानियों का खजाना। आइए, अपने जज़्बातों को खूबसूरत अल्फाज़ों में बदलें।

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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"