Author Details

Pen Name:'zafar'
Real Name:Mirza Abul Muzaffar Sirajuddin
Born:30 Oct 1775 | Delhi
Died:07 Nov 1862 | Yangon, Myanmar
Last Mughal Emperor and contemporary of Ghalib and Zauq.Last Mughal Emperor and contemporary of Ghalib and Zauq.
जिनको हम चुनते हैं, वो ही हमें धुनते हैं,
चाहे बीवी हो या नेता, दोनों कहाँ सुनते हैं!
अल्लाह जाने किस पे अकड़ता था रात दिन
कुछ भी नहीं था फिर भी बड़ा बद-ज़बान था
कोई ऐ 'शकील' पूछे ये जुनूँ नहीं तो क्या है
कि उसी के हो गए हम जो न हो सका हमारा
दूरी और बेरुखी का जब उनसे जवाब माँगा गया,
तो हमें बेवफा बना के हमसे रिश्ता तोड़ने का जवाब दिया…!!
More Shayari
Motivational Shayari

कुफ्र-ओ-इस्लाम ने मक़्सद को पहुँचने न दिया
काबा-ओ-दैर को संग-ए-रह-ए-मंज़िल समझा
~ Munir Shikohabadi

कुफ्र-ओ-इस्लाम ने मक़्सद को पहुँचने न दिया
काबा-ओ-दैर को संग-ए-रह-ए-मंज़िल समझा
~ Munir Shikohabadi
हीरे की काबिलियत रखते हो, तो अंधेरे में चमका करो,
रोशनी में तो कांच भी चमका करते है।

कुफ्र-ओ-इस्लाम ने मक़्सद को पहुँचने न दिया
काबा-ओ-दैर को संग-ए-रह-ए-मंज़िल समझा
~ Munir Shikohabadi
ठोकरें खा के भी ना संभले तो मुसाफ़िर का नसीब,
वर्ना पत्थरों ने तो अपना फर्ज़ निभा ही दिया।

कुफ्र-ओ-इस्लाम ने मक़्सद को पहुँचने न दिया
काबा-ओ-दैर को संग-ए-रह-ए-मंज़िल समझा
~ Munir Shikohabadi
Festival Shayari

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

“प्यारी दोस्ती ही जीवन की असली खुशियां हैं,
जिनके बिना जीवन बेरंग है।”
~ अज्ञात
“प्यारी दोस्ती ही जीवन की असली खुशियां हैं, जिनके बिना जीवन बेरंग है।”
हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम

तेरी हंसी मेरी जिंदगी की रौशनी,
तू है मेरी दोस्ती की सबसे खास कहानी!
~ अज्ञात
तेरी हंसी मेरी जिंदगी की रौशनी, तू है मेरी दोस्ती की सबसे खास कहानी!
Funny Shayari
अज्ञात

दुनिया में हर इंसान का अलग नाम है,
लेकिन जब हम भीड़ में आवाज लगाते हैं “अबे कमीने”
कसम से 10 में से 8 लोग पलटकर देखते हैं!
~ अज्ञात

किस कदर हमने एक इंसान को चाहा,
जिसे भुला पाना बस की नहीं और पाना किस्मत में नहीं।
~ अज्ञात
किस कदर हमने एक इंसान को चाहा, जिसे भुला पाना बस की नहीं और पाना किस्मत में नहीं।

दिलो जान से करेंगे हिफ़ाज़त तेरी,
बस एक बार तू कह दे कि, मैं अमानत हूं तेरी…..!!!
~ अज्ञात
दिलो जान से करेंगे हिफ़ाज़त तेरी, बस एक बार तू कह दे कि, मैं अमानत हूं तेरी…..!!!

यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
~ जौन एलिया
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे

कुछ सोचता हूं तो तेरा ख्याल आ जाता है
कुछ बोलता हूं तो तेरा नाम आ जाता है
कब तक छुपा के रखूं दिल की बात को
तेरी हर अदा पर मुझे प्यार आ जाता है !
~ अज्ञात
कुछ सोचता हूं तो तेरा ख्याल आ जाता है कुछ बोलता हूं तो तेरा नाम आ जाता है कब तक छुपा के रखूं दिल की बात को तेरी हर अदा पर मुझे प्यार आ जाता है !

दिल की किताब में गुलाब उनका था,
रात की नींद में ख्वाब उनका था,
कितना प्यार करते हो जब हमने पूछा,
मर जायंगे तुम्हारे बिना ये जबाब उनका था……!!!
~ अज्ञात
दिल की किताब में गुलाब उनका था, रात की नींद में ख्वाब उनका था, कितना प्यार करते हो जब हमने पूछा, मर जायंगे तुम्हारे बिना ये जबाब उनका था……!!!
अज्ञात
“तेरी मोहब्बत ने मुझे जीना तो सिखा दिया, पर अब तुझसे दूर कैसे रहूं, ये कौन सिखाएगा?”
View Shayariअज्ञात
वो रिश्ता जो कभी अधूरा रह गया था, आज भी उसकी कमी हर पल महसूस होती है।
View Shayariमहबूब ख़िज़ां
देखते हैं बे-नियाज़ाना गुज़र सकते नहीं कितने जीते इस लिए होंगे कि मर सकते नहीं
View Shayariअज्ञात
“मुझे पता है, मैं तुम्हारा पहला प्यार नहीं था, लेकिन यकीन मानो, आखिरी था।”
View Shayariअज्ञात
“हम तो अब सिर्फ़ यादों में ही मिल सकते हैं, तुमसे मिलने की हसरत अब ख़त्म हो गई है।”
View Shayariये इश्क न जाने क्यूं चाहत बन जाता है
ये इश्क न जाने क्यूं चाहत बन जाता है वो सायाद बेवफा ही सही, पर दिल उसका आदत बन जाता है।
अज्ञातएक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के
एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है
जोश मलीहाबादीलुटा दी हमनें अपनी सारी बफ़ा
लुटा दी हमनें अपनी सारी बफ़ा एक ही शख्स पर, अब भी वो हमें बेवफा कहे तो उसकी वफ़ा को सलाम !!
अज्ञातवादे किए थे हर रोज़ नए तूने,
वादे किए थे हर रोज़ नए तूने, पर तेरे हर वादे में छिपा था एक धोखा।
अज्ञातनहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़
नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़ गिला तब हो अगर तू ने किसी से भी निभाई हो
ख़्वाजा मीर दर्दहमे भी बड़ा शौक था दरिया ए इश्क में तैरने का
हमे भी बड़ा शौक था दरिया ए इश्क में तैरने का एक लहर ने ऐसा डुबाया की अभी तक किनारा नही मिला ले रहा था मोहब्बत की चादर इश्क के बाज़ार से भीड़ से आवाज़ आई कफ़न भी लेते जाना अक्सर यार बेवफा होते है
अज्ञात
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शायरी, वो कला है जो दिल से निकल कर सीधे दिल तक पहुंचती है। हर शब्द में छुपा है अनकही कहानियों का खजाना। आइए, अपने जज़्बातों को खूबसूरत अल्फाज़ों में बदलें।

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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"












































