Author Details

Pen Name:'zafar'
Real Name:Mirza Abul Muzaffar Sirajuddin
Born:30 Oct 1775 | Delhi
Died:07 Nov 1862 | Yangon, Myanmar
Last Mughal Emperor and contemporary of Ghalib and Zauq.Last Mughal Emperor and contemporary of Ghalib and Zauq.
जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
पीरी में 'रियाज़' अब भी जवानी के मज़े हैं
ये रीश-ए-सफ़ेद और मय-ए-होश-रुबा सुर्ख़
कहो तो अर्ज़ करें मान लो तो क्या कहना
तुम्हारे पास हम आए हैं इक ज़रूरत से
एक पत्थर पूजने को शैख़ जी काबे गए
'ज़ौक़' हर बुत क़ाबिल-ए-बोसा है इस बुत-ख़ाने में
More Shayari
Motivational Shayari

किनारे ही से तूफ़ाँ का तमाशा देखने वाले,
किनारे से कभी अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ नहीं होता।
~ जगन्नाथ आज़ाद
दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता,
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए।

किनारे ही से तूफ़ाँ का तमाशा देखने वाले,
किनारे से कभी अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ नहीं होता।
~ जगन्नाथ आज़ाद
न मुझ को कहने की ताक़त कहूँ तो क्या अहवाल
न उस को सुनने की फ़ुर्सत कहूँ तो किस से कहूँ

किनारे ही से तूफ़ाँ का तमाशा देखने वाले,
किनारे से कभी अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ नहीं होता।
~ जगन्नाथ आज़ाद

किनारे ही से तूफ़ाँ का तमाशा देखने वाले,
किनारे से कभी अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ नहीं होता।
~ जगन्नाथ आज़ाद
सीढ़ियां उन्हें मुबारक हो, जिन्हें छत तक जाना हो,
हमारी मंजिल तो आसमान है, और रास्ता हमें खुद बनाना है!
Festival Shayari

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

बेवफाई के इस मौसम में, हर खुशी बेनूर हो गई,
तेरे जाने से, जिंदगी की राहें सुनसान हो गई।
~ अज्ञात
बेवफाई के इस मौसम में, हर खुशी बेनूर हो गई, तेरे जाने से, जिंदगी की राहें सुनसान हो गई।
मुस्कुराते हैं तो बिजलियाँ गिरा देती हैं बात करते हैं तो दीवाना बना देती हैं हुस्न वालों की नजर कम नहीं कयामत से आग पानी में वो नज़रों से लगा देती हैं!!!

खामोशियों में भी खुशिखु यों के फसाने ढूँढ लेती है।है
बड़ी शातिर है दुनिदु या इश्क के बहाना ढ़ूँढ लेती है।है।
~ अज्ञात
खामोशियों में भी खुशिखु यों के फसाने ढूँढ लेती है।है बड़ी शातिर है दुनिदु या इश्क के बहाना ढ़ूँढ लेती है।है।
Funny Shayari
अज्ञात

इतना मुझे SMS करते हो,
पैसे नहीं लगते तुम्हारे
या मुझपे मरते हो।
~ अज्ञात

दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
~ जिगर मुरादाबादी
दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं

तू मोहब्बत होती तो शायद भुला देता,
साला ये दिल इबादत कर बैठा है।
~ अज्ञात
तू मोहब्बत होती तो शायद भुला देता, साला ये दिल इबादत कर बैठा है।

जमाने के लिए आज होली है,
मुझे तो तेरी यादे रोज रंग देती है……!!!
~ अज्ञात
जमाने के लिए आज होली है, मुझे तो तेरी यादे रोज रंग देती है……!!!

दिल से उठता है सुब्ह-ओ-शाम धुआँ
कोई रहता है इस मकाँ में अभी
~ अंजुम रूमानी
दिल से उठता है सुब्ह-ओ-शाम धुआँ कोई रहता है इस मकाँ में अभी

इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो
थक गए हो तो मिरे काँधे पे बाज़ू रक्खो
~ इफ़्तिख़ार नसीम
इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो थक गए हो तो मिरे काँधे पे बाज़ू रक्खो
अज्ञात
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के शिकवे अब कहाँ अब तो ये बातें भी ऐ दिल हो गईं आई गई
View Shayariअज्ञात
वो दिन भी क्या दिन थे जब तुम पास थे, आज ये लम्हे, बस यादों में उलझे रहते हैं।
View Shayariमहेश चंद्र नक़्श
इस डूबते सूरज से तो उम्मीद ही क्या थी हँस हँस के सितारों ने भी दिल तोड़ दिया है
View Shayariअज्ञात
चाय जैसी उबल रही है जिंदगी, मगर हम भी हर घूँट का, आनंद शौक से लेंगे।
View Shayariअज्ञात
“वो छोड़ गये हमें ना जाने उनकी क्या मजबूरी थी खुदा ने कहा, इसमें इनका कोई कसूर नहीं यह कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी।”
View Shayariअज्ञात
“दिल को इस तरह से टूटने मत देना कि वापस जुड़ने की कोई गुंजाइश ही न बचे।”
View Shayariअज्ञात
“कभी-कभी दिल को इस बात का एहसास ही नहीं होता कि जिसे हम चाह रहे हैं, वो हमारा नहीं है।”
View Shayariये सोच के माँ बाप की ख़िदमत में लगा हूँ
इस पेड़ का साया मिरे बच्चों को मिलेगा
~ Munawwar Ranaहांथ पैरपै मुंहमुं नाक से ले कर दादा दादी चाचा चाची बहन भाई रोना हंसहं ना तक सिखाती है।है
वो एक मां हीं है जो अपने बच्चेको एक गुरु के लायक बनाती है।।है
~ अज्ञात
दिन भी ठीक से नहीं गुजरता
और रात भी बड़ी तड़पाती हैं
क्या करू यार तेरी याद ही
जो इतनी आती हैं।
~ अज्ञात
मोहब्बत तो दिल से की थी मैंने
मोहब्बत तो दिल से की थी मैंने पर दिमाग उसने लगा दिया,,, बेवफा वो खुद थे और इल्जाम मुझ पर लगा दिया…
अज्ञातकिसी के छोड़कर चले जाने से,
किसी के छोड़कर चले जाने से, कोई तंहा नहीं रह जाता, मगर ये दिल एकबार बर्बाद हो जाता है, तो वह दोबारा नहीं बस पाता…!!
अज्ञातवो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली,
वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली, इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे सजा मिली…!!
अज्ञातमान जाना यार चार दिन की जिंदगी है,
मान जाना यार चार दिन की जिंदगी है, और तू तीन दिन से नाराज…!!
अज्ञातटूटा हुआ विश्वास, दिल में दर्द का कारण बना,
टूटा हुआ विश्वास, दिल में दर्द का कारण बना, बेवफा, तेरे जाने से, जिंदगी अधूरी रह गई।
अज्ञातसिर्फ एक ही बात सीखी
सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुसन वालों से हमने हसीन जिसकी जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है
अज्ञातजनाजा मेरा उठ रहा था,
जनाजा मेरा उठ रहा था, तकलीफ थी उसको आने में, बेवफा घर में बैठी पूछ रही थी, और कितनी देर है इसको दफनाने में।
अज्ञातवादा किया था तुझसे ज़िंदगी भर का,
वादा किया था तुझसे ज़िंदगी भर का, पर तूने धोखा दिया, अब इनकार क्या…!!
अज्ञात
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शायरी क्यों खास है:
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अपनी हर भावना को शायरी के ज़रिए खास बनाइए। नई शायरी हर दिन!
Top Categories
❤️ अपनी भावनाओं को शायरी में ढालें ❤️
शायरी, वो कला है जो दिल से निकल कर सीधे दिल तक पहुंचती है। हर शब्द में छुपा है अनकही कहानियों का खजाना। आइए, अपने जज़्बातों को खूबसूरत अल्फाज़ों में बदलें।

शायरी के फायदे:
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"











































