Author Details

Pen Name:'Parveen'
Real Name:Parveen Shakir
Born:24 Nov 1952 | Karachi, Sindh
Died:26 Dec 1994
One of the most popular Urdu poets who gave expression to feelings and experiences specific to womenOne of the most popular Urdu poets who gave expression to feelings and experiences specific to women
आलम से हमारा कुछ मज़हब ही निराला है
यानी हैं जहाँ हम वाँ इस्लाम नहीं होता
मुझ को दुश्मन के इरादों पे भी प्यार आता है
तिरी उल्फ़त ने मोहब्बत मिरी आदत कर दी
वस्ल हो जाए यहीं हश्र में क्या रक्खा है
आज की बात को क्यूँ कल पे उठा रक्खा है
मेरे अंदर की ज्वाला को शांत करना मुश्किल है,
क्योंकि मेरा जुनून किसी से भी कम नहीं।
वो आ रहे हैं वो आते हैं आ रहे होंगे
शब-ए-फ़िराक़ ये कह कर गुज़ार दी हम ने
तुझे कौन जानता था मिरी दोस्ती से पहले,
तिरा हुस्न कुछ नहीं था मिरी शाइरी से पहले
More Shayari
Motivational Shayari

देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार
रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख
~ Majrooh Sultanpuri

देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार
रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख
~ Majrooh Sultanpuri
चंग ओ नय रंग पे थे अपने लहू के दम से
दिल ने लय बदली तो मद्धम हुआ हर साज़ का रंग

देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार
रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख
~ Majrooh Sultanpuri
क़दमों को बांध न पाएगी मुसीबत की जंजीरें,
रास्तों से जरा कह दो अभी भटका नहीं हूं मैं।

देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार
रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख
~ Majrooh Sultanpuri
हौसला किस में है यूसुफ़ की ख़रीदारी का
अब तो महँगाई के चर्चे हैं ज़ुलेख़ाओं में

देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार
रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख
~ Majrooh Sultanpuri
वो हर्फ़-ए-राज़ कि मुझ को सिखा गया है जुनूँ
ख़ुदा मुझे नफ़स-ए-जिबरईल दे तो कहूँ
Festival Shayari

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

सुख़न-ए-सख़्त से दिल पहले ही तुम तोड़ चुके
अब अगर बात बनाओ भी तो क्या होता है
~ Lala Madhav Ram Johar
सुख़न-ए-सख़्त से दिल पहले ही तुम तोड़ चुके अब अगर बात बनाओ भी तो क्या होता है
शब गुज़री बुझने लगा रौशनियों का शहर लौटी साहिल की तरफ़ थकी थकी इक लहर
“भगवान करे आप Enjoyment से भरपूर और Smile से अपना आज का दिन Celebrate करो, और बहुत सारी Surprises पाओ, Happy Birthday to You!!”

अब भी खड़ी है सोच में डूबी उजयालों का दान लिए
आज भी रेखा पार है रावण सीता को समझाए कौन
~ Aziz Bano Darab Wafa
अब भी खड़ी है सोच में डूबी उजयालों का दान लिए आज भी रेखा पार है रावण सीता को समझाए कौन
Funny Shayari
अज्ञात

इस सर्दी की ठंडक मेरे दिल में उतर गई है,
इसी वजह से मेरी शायरी जम सी गयी है!
~ अज्ञात

जिंदगी आ बैठ, ज़रा बात तो सुन,
मुहब्बत कर बैठा हूँ, कोई मशवरा तो दे……!!!
~ अज्ञात
जिंदगी आ बैठ, ज़रा बात तो सुन, मुहब्बत कर बैठा हूँ, कोई मशवरा तो दे……!!!

कुछ खास नहीं इन हाथों की लकीरों में,
मगर तुम हो तो एक लकीर ही काफी है……!!!
~ अज्ञात
कुछ खास नहीं इन हाथों की लकीरों में, मगर तुम हो तो एक लकीर ही काफी है……!!!

अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे
मिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले
~ सालिम सलीम
अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे मिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले

जरुरी नहीं है की, इश्क़ में हमबिस्तर होना पड़े,
किसी को जीभर के महसूस करना भी इश्क़ है।
~ अज्ञात
जरुरी नहीं है की, इश्क़ में हमबिस्तर होना पड़े, किसी को जीभर के महसूस करना भी इश्क़ है।

यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
~ जौन एलिया
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
अज्ञात
वो याद नहीं करते हमें, फिर भी हम उन्हें याद करते हैं, ये मोहब्बत भी एकतरफा होने का दर्द है।
View Shayariअज्ञात
ज़िन्दगी में कुछ पल बस ऐसे गुजर जाते है बस रहे जाती हैं तो उनकी यादें।
View Shayariफ़ारूक़ शफ़क़
दिन किसी तरह से कट जाएगा सड़कों पे ‘शफ़क़’ शाम फिर आएगी हम शाम से घबराएँगे
View Shayariअज्ञात
“कभी-कभी दिल को भी समझाना पड़ता है कि जिसे हम चाहते हैं, वो हमें नहीं चाहता।”
View ShayariMushafi Ghulam Hamdani
यक क़तरा ख़ूँ बग़ल में है दिल मिरी सो इस को पलकों से तेरी ख़ातिर क्यूँकर निचोड़ डालूँ
View Shayariनहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़
नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़ गिला तब हो अगर तू ने किसी से भी निभाई हो
ख़्वाजा मीर दर्दजो मिला उस ने बेवफ़ाई की
जो मिला उस ने बेवफ़ाई की कुछ अजब रंग है ज़माने का
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानीजब लगा था तीर तब इतना दर्द न हुआ गालिब
जब लगा था तीर तब इतना दर्द न हुआ गालिब दर्द का अहसास तो तब हुआ जब कमान देखी अपनों के हाथ में हुस्न कहां हसीन होता है ऐ बेवकूफ इंसान जिनसे इश्क हो जाए वो हसीन लगने लगता है
अज्ञातख़ामोश रहने का हक़ भी तो था मेरा,
ख़ामोश रहने का हक़ भी तो था मेरा, तूने तो अपनी बेवफ़ाई की ज़िम्मेदारी ले ली है…!!
अज्ञातइश्क़ करना तो था तेरे दिल की आदत,
इश्क़ करना तो था तेरे दिल की आदत, पर तेरी बेवफ़ाई ने तोड़ दिया हमारी इमारत…!!
अज्ञाततेरी बेवफाई के बाद भी, तेरा नाम लबों पे आता है,
तेरी बेवफाई के बाद भी, तेरा नाम लबों पे आता है, ये दिल अब भी तुझसे प्यार करता है।
अज्ञातखता मत गिन इश्क़ में किसने क्या गुनाह किया
खता मत गिन इश्क़ में किसने क्या गुनाह किया इश्क़ एक नशा था तूने भी किया और मैंने भी किया
अज्ञातगिला लिखूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का
गिला लिखूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का लहू में ग़र्क़ सफ़ीना हो आश्नाई का
मोहम्मद रफ़ी सौदा
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"