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इश्क़-विश्क़ ये चाहत-वाहत मन का भुलावा फिर मन भी अपना क्या
यार ये कैसा रिश्ता जो अपनों को ग़ैर करे मौला ख़ैर करे
हम न कहते थे कि नक़्श उस का नहीं नक़्क़ाश सहल
चाँद सारा लग गया तब नीम-रुख़ सूरत हुई
आँखों में ना हमको ढूंढो सनम,
दिल में हम बस जाएंगे,
बंद आँखों में भी हम नज़र आएंगे……..!!!
ज़माना सख़्त कम-आज़ार है ब-जान-ए-असद
वगरना हम तो तवक़्क़ो ज़्यादा रखते हैं
शेर को मज़मून सेती क़द्र हो है 'आबरू'
क़ाफ़िया सेती मिलाया क़ाफ़िया तो क्या हुआ
More Shayari
Motivational Shayari

खुले मिलते हैं मुझ को दर हमेशा,
मिरे हाथों में दस्तक भर गई है।
~ स्वप्निल तिवारी
ख़ुद से प्यार करना सीखो,
लोगों का क्या,
आज तुम्हारे हैं,
कल किसी और के हो जाएँगे।

खुले मिलते हैं मुझ को दर हमेशा,
मिरे हाथों में दस्तक भर गई है।
~ स्वप्निल तिवारी
ख़ुद अपने से मिलने का तो यारा न था मुझ में
मैं भीड़ में गुम हो गई तन्हाई के डर से

खुले मिलते हैं मुझ को दर हमेशा,
मिरे हाथों में दस्तक भर गई है।
~ स्वप्निल तिवारी

खुले मिलते हैं मुझ को दर हमेशा,
मिरे हाथों में दस्तक भर गई है।
~ स्वप्निल तिवारी
Festival Shayari

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

मुस्कान के सिवा कुछ न लाया
कर अपने चेहरे पर मेरी फिक्र
हार जाती है तेरी मायूसी देखकर।
~ अज्ञात
मुस्कान के सिवा कुछ न लाया कर अपने चेहरे पर मेरी फिक्र हार जाती है तेरी मायूसी देखकर।
ये ग़म-कदा है इस में 'मुबारक' ख़ुशी कहाँ ग़म को ख़ुशी बना कोई पहलू निकाल के
तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चराग़ लोग क्या सादा हैं सूरज को दिखाते हैं चराग़

हमारे आंसूं पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं,
उनकी इस अदा से वो दिल को चुराते हैं,
हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को,
इसी उम्मीद में हम खुद को रुलाते हैं…….!!!
~ अज्ञात
हमारे आंसूं पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं, उनकी इस अदा से वो दिल को चुराते हैं, हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को, इसी उम्मीद में हम खुद को रुलाते हैं…….!!!
Funny Shayari
अज्ञात

रहिमन कूलर रखिये बिन कूलर सब सून,
कूलर बिना ना किसी को गर्मी में मिले सुकून..!
~ अज्ञात

निखर जाती है मेरी मोहब्बत
तेरी आजमाइश के बाद
सवरता जा रहा है ये इश्क
तेरी हर फरमाइश के बाद !
~ अज्ञात
निखर जाती है मेरी मोहब्बत तेरी आजमाइश के बाद सवरता जा रहा है ये इश्क तेरी हर फरमाइश के बाद !

सारी दुनिया की खुशी अपनी जगह,
उन सबके बीच तेरी कमी अपनी जगह…..!!!
~ अज्ञात
सारी दुनिया की खुशी अपनी जगह, उन सबके बीच तेरी कमी अपनी जगह…..!!!

सब कुछ मिला सुकून की दौलत ना मिली,
एक तुझको भूल जाने की मोहलत ना मिली,
करने को बहुत काम थे अपने लिए,
मगर हमको तेरे ख्याल से फुर्सत ना मिली…..!!!
~ अज्ञात
सब कुछ मिला सुकून की दौलत ना मिली, एक तुझको भूल जाने की मोहलत ना मिली, करने को बहुत काम थे अपने लिए, मगर हमको तेरे ख्याल से फुर्सत ना मिली…..!!!

जब से देखा है तेरी आँखो मे झाँक कर,
कोई भी आईना अच्छा नही लगता,
तेरी मोहब्बत मे ऐसे हुए है दीवाने,
तुम्हे कोई और देखे तो अच्छा नही लगता……..!!!
~ अज्ञात
जब से देखा है तेरी आँखो मे झाँक कर, कोई भी आईना अच्छा नही लगता, तेरी मोहब्बत मे ऐसे हुए है दीवाने, तुम्हे कोई और देखे तो अच्छा नही लगता……..!!!

लोग देखेंगे तो अफ़साना बना डालेंगे,
यूँ मेरे दिल में चले आओ की आहट भी न हो……!!!
~ अज्ञात
लोग देखेंगे तो अफ़साना बना डालेंगे, यूँ मेरे दिल में चले आओ की आहट भी न हो……!!!
अज्ञात
हंसते हुए चेहरे के पीछे छुपे होते हैं कई ग़म, जिंदगी की सच्चाई हर किसी के बस की बात नहीं।
View Shayariअज्ञात
हर बार सोचा तुझे भुला देंगे, मगर हर बार तेरी यादों में उलझ जाते हैं।
View Shayariअज्ञात
“तुम्हारे बिना ये दिल वीरान सा लगता है, जैसे किसी को खोकर हर खुशी खो गई।”
View Shayariअज्ञात
न जाने किस लिए उम्मीद-वार बैठा हूँ इक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुज़र भी नहीं
View Shayariअज्ञात
फिर उदासी का आलम हटा लिया है तुमने, आंखो मे उमड़े हुए आंसूबहा दिया है तुमने। पत्थर तराश ने का हुनर था लाजवाब तुजमे, फिर हंसहं ते हुए तारे को सजा लिया तुमने।।
View Shayariवो शख्स जो कहता था तू ना मिला तो मर जाउंगा
वो शख्स जो कहता था तू ना मिला तो मर जाउंगा “फ़राज़” वो आज भी जिंदा है यही बात किसी और से कहने के लिए
अज्ञातमुद्दा ये नही की दाल महंगी है गालिब
मुद्दा ये नही की दाल महंगी है गालिब दर्द ये है की किसी की गल नही रही
अज्ञातकौन कहता है लड़के बेदर्द होते हैं,
कौन कहता है लड़के बेदर्द होते हैं, बस वो रोते नहीं क्योंकि वह मर्द होते हैं…!!
अज्ञातजब आपको बिना गलती के सजा मिले,
जब आपको बिना गलती के सजा मिले, तो उसे Bewafai कहा जाता है…!!
अज्ञातअगर तुम अब भी मेरी हो जाओ तो मैं,
अगर तुम अब भी मेरी हो जाओ तो मैं, दुनिया की हर किताब से बेवफा लफ्ज मिटा दूंगा…!!
अज्ञाततेरी बेवफाई का क्या शिकवा करूं,
तेरी बेवफाई का क्या शिकवा करूं, मुझे तो मेरी वफाओं ने ही मार रखा है…!!
अज्ञाततूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई,
तूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई, अदालत भी तेरी थी गवाह भी तू ही थी…!!
अज्ञात
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