Author Details
Pen Name:'Sajid'
Real Name:Mohammad Iqbal
Born:Saharanpur, Uttar pradesh
Died:18 May 1988
Popular poet from Pakistan/ Died youngPopular poet from Pakistan/ Died young
ठहराव था कुछ पल का अब हमें चलना होगा,
बदलना है जो दुनिदु या को खुदखु को बदलना होगा।
कुफ़्र और दीं में तग़ायर नहीं गर देखिए ख़ूब
साथ तस्बीह के दानों के तो ज़ुन्नार भी है
अगर तुम अब भी मेरी हो जाओ तो मैं,
दुनिया की हर किताब से बेवफा लफ्ज मिटा दूंगा…!!
तौबा तौबा शैख़ जी तौबा का फिर किस को ख़याल
जब वो ख़ुद कह दे कि पी थोड़ी सी पी मेरे लिए
More Shayari
Motivational Shayari
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत,
यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है।
~ अज्ञात
मेरे हाथों की लकीरों के इज़ाफ़े हैं गवाह,
मैंने पत्थर की तरह खुद को तराशा है बहुत।
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत,
यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है।
~ अज्ञात
संघर्ष में आदमी अकेला होता है,
सफलता में दुनिया उसके साथ होती है,
जब-जब जग किसी पर हंसा है,
तब-तब उसी ने इतिहास रचा है।
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत,
यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है।
~ अज्ञात
जुनून है कि सारी हदे पार करके अपना मुकाम हासिल करना है,
और अपनों के लिए खुद की जवानी कुर्बान करनी है।
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत,
यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है।
~ अज्ञात
पा-ब-गिल बे-ख़ुदी-ए-शौक़ से मैं रहता था
कूचा-ए-यार में हालत मिरी दीवार की थी
Festival Shayari
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।
मेरी हर खुशी हर बात तेरी है
साँसों में छुपी ये साँस तेरी है
दो पल भी नहीं रह सकते तेरे बिन
धड़कनों की धड़कती हर आवाज तेरी है।
~ अज्ञात
मेरी हर खुशी हर बात तेरी है साँसों में छुपी ये साँस तेरी है दो पल भी नहीं रह सकते तेरे बिन धड़कनों की धड़कती हर आवाज तेरी है।
दिलों में बैर रखतें हों और रखते चेहरों पर झूठी मुस्कान वाह! ख़ुदा तूने भी बनाए क्या इंसान!
तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चराग़ लोग क्या सादा हैं सूरज को दिखाते हैं चराग़
ऐ याद-ए-दोस्त आज तू जी भर के दिल दुखा
शायद ये रात हिज्र की आए न फिर कभी
~ Nasir Kazmi
ऐ याद-ए-दोस्त आज तू जी भर के दिल दुखा शायद ये रात हिज्र की आए न फिर कभी
Funny Shayari
अज्ञात
मोबाइल लेने के बाद और
शादी करने के बाद,
एक ही अफसोस होता है की
थोड़ा सब्र कर लेते तो
अच्छा माल मिल जाता।
~ अज्ञात
शान से हम तेरे दिल में रहेंगे,
तेरी मोहब्बत पे जान निसार करेंगे,
देख के जलेंगी हमे दुनिया सारी,
इस कदर बे-पनाह तुझे प्यार करेंगे……!!!
~ अज्ञात
शान से हम तेरे दिल में रहेंगे, तेरी मोहब्बत पे जान निसार करेंगे, देख के जलेंगी हमे दुनिया सारी, इस कदर बे-पनाह तुझे प्यार करेंगे……!!!
तेरे हुस्न को परदे की ज़रुरत ही क्या है,
कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद…….!!!
~ अज्ञात
तेरे हुस्न को परदे की ज़रुरत ही क्या है, कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद…….!!!
इश्क़ में तेरा फ़ना बन जाऊ,
दर्द में तेरा सुकून बन जाऊ,
तुम रखो पैर जिस जगह पर भी,
वो जमीन मैं बन जाऊ।
~ अज्ञात
इश्क़ में तेरा फ़ना बन जाऊ, दर्द में तेरा सुकून बन जाऊ, तुम रखो पैर जिस जगह पर भी, वो जमीन मैं बन जाऊ।
कुछ सोचता हूं तो तेरा ख्याल आ जाता है
कुछ बोलता हूं तो तेरा नाम आ जाता है
कब तक छुपा के रखूं दिल की बात को
तेरी हर अदा पर मुझे प्यार आ जाता है !
~ अज्ञात
कुछ सोचता हूं तो तेरा ख्याल आ जाता है कुछ बोलता हूं तो तेरा नाम आ जाता है कब तक छुपा के रखूं दिल की बात को तेरी हर अदा पर मुझे प्यार आ जाता है !
मै उसको चाँद कह दू ये मुमकिन तो है,
मगर… लोग उसे रात भर देखें ये मुझे गवारा नहीं…..!!!
~ अज्ञात
मै उसको चाँद कह दू ये मुमकिन तो है, मगर… लोग उसे रात भर देखें ये मुझे गवारा नहीं…..!!!
क़ैसर-उल जाफ़री
दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है हम भी पागल हो जाएँगे ऐसा लगता है
View Shayariसाहिर लुधियानवी
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
View Shayariअज्ञात
खामोशियों में छुपी हैं कई बातें, जो कहनी थीं तुमसे, पर अब नहीं कह पाते।
View Shayariअज्ञात
होते ही शाम, जलने लगा, याद का अलाव आँसू सुनाने दुख की कहानी निकल पड़े।
View ShayariZafar Iqbal
मुझ में हैं गहरी उदासी के जरासीम इस क़दर मैं तुझे भी इस मरज़ में मुब्तला कर जाऊँगा
View Shayariबेवफाई करने वालों को
बेवफाई करने वालों को शर्म कहां होती है, मजे से चेहरा उठाकर, वह महफिलों में चले आते हैं…!!
अज्ञाततूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई,
तूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई, अदालत भी तेरी थी गवाह भी तू ही थी…!!
अज्ञातजब आपको बिना गलती के सजा मिले,
जब आपको बिना गलती के सजा मिले, तो उसे Bewafai कहा जाता है…!!
अज्ञातप्रेम ने हम पर ये इल्जाम लगाया है,
प्रेम ने हम पर ये इल्जाम लगाया है, वफ़ा कर के बेबफा का नाम आया हैं, राहें अलग नहीं थी हमारी फिर भी, हम ने अलग अलग मंज़िल को पाया हैं।
अज्ञातजाओ भी क्या करोगे मेहर-ओ-वफ़ा
जाओ भी क्या करोगे मेहर-ओ-वफ़ा बार-हा आज़मा के देख लिया
दाग़ देहलवीहर खूबसूरत चीज को
हर खूबसूरत चीज को एक खूबसूरत चीज़ कि तलाश होती है लेकिन हर खूबसूरत चीज बेवफ़ा होती हैं…!!
अज्ञातहम गम, तन्हाई और जुदाई से मरते रहे,
हम गम, तन्हाई और जुदाई से मरते रहे, और वो बेवफा बनके चुप बैठे रहे…!!
अज्ञात🎉 Shayari Week Special! 🎉
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"