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या तो किसी को जुरअत-ए-दीदार ही न हो
या फिर मिरी निगाह से देखा करे कोई
मेरी सज-धज तो कोई इश्क़-ए-बुताँ में देखे
साथ क़श्क़े के है ज़ुन्नार-ए-बरहमन कैसा
हैफ़ उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत ‘ग़ालिब’
जिस की क़िस्मत में हो आशिक़ का गिरेबाँ होना
More Shayari
Motivational Shayari
ज़िन्दगी में मुश्किलें आती है और इंसान ज़िंदा रहने से घबराता है।
ना जाने कैसे हज़ारों काटों के बीच रह कर, एक फूल मुस्कुराता है।
~ अज्ञात
इतना भी ना-उमीद दिल-ए-कम-नज़र न हो,
मुमकिन नहीं कि शाम-ए-अलम की सहर न हो।
ज़िन्दगी में मुश्किलें आती है और इंसान ज़िंदा रहने से घबराता है।
ना जाने कैसे हज़ारों काटों के बीच रह कर, एक फूल मुस्कुराता है।
~ अज्ञात
हम चांद को पाने की हिमाकत लिए बैठेबैठेहै।है
हम धरती पर रहकर आसमान लिए बैठेबैठेहै।है।
ज़िन्दगी में मुश्किलें आती है और इंसान ज़िंदा रहने से घबराता है।
ना जाने कैसे हज़ारों काटों के बीच रह कर, एक फूल मुस्कुराता है।
~ अज्ञात
जला के मिशअल-ए-जाँ हम जुनूँ-सिफ़ात चले
जो घर को आग लगाए हमारे साथ चले
ज़िन्दगी में मुश्किलें आती है और इंसान ज़िंदा रहने से घबराता है।
ना जाने कैसे हज़ारों काटों के बीच रह कर, एक फूल मुस्कुराता है।
~ अज्ञात
मिज़ाज अलग सही हम दोनों क्यूँ अलग हों कि हैं,
सराब ओ आब में पोशीदा क़ुर्बतें क्या क्या।
Festival Shayari
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।
अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो
~ Ahmed Faraz
अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो
बड़े ताबाँ बड़े रौशन सितारे टूट जाते हैं सहर की राह तकना ता सहर आसाँ नहीं होता
छोटी छोटी बातों में खुशियाँ तलाश लेता हूँ, ऑटो में चलता हूँ फिर भी फ़ोन को फ्लाइट मोड पे डाल लेता हूँ।
इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया
मिर्ज़ा ग़ालिब
~ अज्ञात
इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया मिर्ज़ा ग़ालिब
Funny Shayari
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे
~ क़ैसर-उल जाफ़री
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे
एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है
इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता
~ जावेद नसीमी
एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता
रिश्ते निभाने के लिए मुलाकात जरूरी है,
इश्क़ करने के लिए आशिकाना बनना जरुरी है।
~ अज्ञात
रिश्ते निभाने के लिए मुलाकात जरूरी है, इश्क़ करने के लिए आशिकाना बनना जरुरी है।
कुछ ऐसा अंदाज था उनकी हर अदा में,
के तस्वीर भी देखूँ उनकी तो खुशी तैर जाती है चेहरे पे……!!!
~ अज्ञात
कुछ ऐसा अंदाज था उनकी हर अदा में, के तस्वीर भी देखूँ उनकी तो खुशी तैर जाती है चेहरे पे……!!!
तुम्हारा प्यार मेरे लिए वो राग है
जो मेरे दिल में बजता है,
वह लय है जो मेरी आत्मा में धड़कता है।
~ अज्ञात
तुम्हारा प्यार मेरे लिए वो राग है जो मेरे दिल में बजता है, वह लय है जो मेरी आत्मा में धड़कता है।
ख़ुमार बाराबंकवी
ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए
View Shayariअज्ञात
“हमारी खामोशी को हमारी तन्हाई मत समझो, इसमें सिर्फ़ तेरी यादें बसी हैं।”
View Shayariअल्लामा इक़बाल
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
View Shayariअज्ञात
“तेरी मोहब्बत ने मुझे जीना तो सिखा दिया, पर अब तुझसे दूर कैसे रहूं, ये कौन सिखाएगा?”
View Shayariतेरी मोहब्बत में धोखे का ज़हर था,
तेरी मोहब्बत में धोखे का ज़हर था, हमने समझा था इश्क, पर ये तो बस एक फरेब था।
अज्ञाततुम्हारी तो दिवाली है,
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
अज्ञातयाद करोगे एक दिन मुझे ये सोचकर
याद करोगे एक दिन मुझे ये सोचकर कि क्यों नहीं क़दर की उसके प्यार की
अज्ञातकभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी, कभी याद आकर उनकी जुदाई मार गयी, बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने, आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी !!
अज्ञातअधूरी वफ़ाओं से उम्मीद रखना
अधूरी वफ़ाओं से उम्मीद रखना हमारे भी दिल की अजब सादगी है
अमीता परसुराम मीताकिसी का रूठ जाना और अचानक बेवफा होना,
किसी का रूठ जाना और अचानक बेवफा होना, मोहब्बत में यही लम्हा क़यामत की निशानी है…!!
अज्ञातअजब चराग़ हूं दिन रात जलता रहता हूं
अजब चराग़ हूं दिन रात जलता रहता हूं मैं थक गया हूं हवा से कहो बुझाए मुझे
बशीर बद्रतुम नहीं मिले तो क्या हुआ,
तुम नहीं मिले तो क्या हुआ, मैं जिंदगी भर तुम्हें ही चाहता रहूंगा, यह जरूरी तो नहीं है की तुम, मुझे ना चाहो तो मैं भी तुम्हें छोड़ दूं…!!
अज्ञात🎉 Shayari Week Special! 🎉
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"